आज (बुधवार, 7 नवंबर) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि है, आज सूर्य और छठी माता की भक्ति का महापर्व छठ पूजा है. आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और कल यानी गुरुवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा व्रत पूरा होगा. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं। मनीष शर्मा के मुताबिक, पौराणिक मान्यता है कि छठी माता सूर्य देव की बहन हैं. छठ पूजा व्रत सबसे मुश्किल व्रत माना जाता है, क्योंकि इसमें भक्त करीब 36 घंटे तक निर्जल रहते हैं यानी इतने समय तक पानी भी नहीं पीते हैं. ये व्रत एक सख्त तप है. व्रत पूरा होने के बाद लोग व्रत करने वाले लोगों के चरण स्पर्श करते हैं, उनका आशीर्वाद लेते हैं.
छठ पूजा व्रत से जुड़ी मान्यताएं
आज शाम डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
आमतौर पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है, लेकिन छठ पूजा व्रत में सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान भक्त नदी, तालाब या पानी की किसी साधन में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसके बाद अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. सप्तमी पर दिए गए अर्घ्य के बाद छठ पूजा व्रत पूरा होता है.
घर पर ही ऐसे कर सकते हैं सूर्य पूजा
जो लोग छठ पूजा व्रत नहीं कर रहे हैं और किसी नदी किनारे भी नहीं जा पा रहे हैं, वे घर पर ही सूर्य पूजा कर सकते हैं. इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और जल में कुमकुम, चावल, फूल की पत्तियां डालें और सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें.