Supreme Court ने किया साफ, घर-जमीन नीलाम कर भी देना होगा पत्नी को पैसा
Himachali Khabar Hindi January 22, 2025 08:42 AM

Himachali Khabar (supreme court on alimony) : सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद लोन देने वाली कंपनियों की परेशानी भी बढ़ सकती है। लोन वसूल (Loan) करना मुश्किल हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता (Supreme Court Alimony rights) को लेकर एक याचिका पर कहा कि किसी भी लोन लेने वाले को लोन की किस्त जमा कराने से पहले बीवी बच्चों की देखभाल पर ध्यान देना होगा। प्राथमिकता गुजाराभत्ता (Alimony) को दी जाएगी। 

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि  अलग हो चुकी पत्नी व बच्चों को गुजारा भत्ता देना व्यक्ति की पहली प्राथमिकता बनती है। कहीं और के खर्चे बाद में आते हैं। चाहे वह किसी बैंक का कर्जदारक क्यों न हो। लोन की ईएमाआई (EMI) चुकता करने से पहले गुजारा भत्ता देना होगा। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने पति की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court case) में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भूयान की बैंच ने मामला सुना। मामले में सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने एक पति की ओर से लगाई याचिका को खारिज कर दिया। 
पति की अपील थी कि उनकी इनकम इतनी नहीं है कि वो अपने से अलग हो चुकीं पत्नी के बचे हुए गुजारा भत्ते (Supreme Court Alimony) का भुगतान कर दें। पति के अनुसार उनकी डायमंड की फैक्ट्री में भारी नुकसान हुआ है। वहीं, उनपर कर्जा भी बहुत सिर चढ़ गया है। 

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भरणपोषण का खर्च पहली प्राथमिकता

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि तलाकशुदा महिला व उनके बच्चों के भरणपोषण के खर्चे (maintenance expenses) को उठाना ही पति की पहली प्राथमिकता बनती है। पति की संपत्ति पर पहला अधिकार उनकी पत्नी और बच्चों का है। उस संपत्ति (property) पर पत्नी और बच्चों के बाद ही कोई बैंक या अन्य कर्ज देने वाला अपना हक जता सकता है।  

 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व पति को महिला के लिए शीघ्र अति शीर्घ बकाये गुजारे भत्ते (Supreme Court Alimony) को देना होगा। वहीं, पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस हिसाब से लोन देने वाली कंपनी की तरफ से लोन की वसूली के लिए उठाए गए कदमों को बाद में सुना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Alimony) की बैंच ने कहा कि गुजाराभत्ते का अधिकार सम्मान से जीने के आधार से जुड़ा अधिकार है। गुजाराभत्ता का अधिकार सम्मान के अधिकार और बेहतर जिंदगी के अधिकार का ही हिस्सा है। संविधान के अनुच्छे 21 का भी हवाला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गुजराभत्ता के अधिकार को मौलिक अधिकार के बराबर बताया। किसी कंपनी के कर्ज वसूलने से बड़ा अधिकार गुजाराभत्ता है।  

 

संपत्ति बेच कर सकते हैं गुजाराभत्ता का भुगतान

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले में कहा कि फैमिली कोर्ट गुजारा भत्ता का भुगतान करने में विफल रहे पति पर कार्रवाई कर सकता है। गुजारा भत्ता के भुगतान के लिए आवश्यक हुआ तो पति की अचल संपत्ति को भी नीलाम किया जा सकता है।
 

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