– कांग्रेस को अंबेडकर का नाम लेने का नैतिक अधिकार नहीं: भाजपा
गुवाहाटी, 27 जनवरी . प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि असम कांग्रेस को जय भीम जय संविधान कार्यक्रम चलाने से पहले अपने पूर्वज नेताओं द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति की गई प्रतिशोधी राजनीति और गहरी घृणा के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए. मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने अंबेडकर से जुड़े जो तथ्य प्रस्तुत किए हैं, कांग्रेस नेताओं को उनका विरोध करने से पहले उस समय की राजनीतिक स्थिति का अध्ययन करना चाहिए.
नेहरू ने अंबेडकर को अशांति फैलाने वाला कहकर संविधान सभा से बाहर रखा था. कांग्रेस नेताओं को अब उनका नाम लेने में शर्म आनी चाहिए. 296 सदस्यीय संविधान सभा की सूची से अंबेडकर को नेहरू ने हटाया था. बंगाल के दलित नेता जोगेंद्रनाथ मंडल के कारण ही अंबेडकर संविधान सभा में प्रवेश कर पाए.
नेहरू ने संविधान सभा के अध्यक्ष पद के लिए अंबेडकर के स्थान पर पाकिस्तान के संविधान सलाहकार डॉ. आईवर जेनिंग्स का नाम प्रस्तावित किया था. लेकिन, महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के कारण ही अंबेडकर अध्यक्ष बन सके, जिसके परिणामस्वरूप भारत को आज दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान मिला.
नेहरू ने 1952 के आम चुनाव और 1954 के उपचुनाव में अंबेडकर को हराने का पूरा प्रयास किया. उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. कांग्रेस ने न केवल उनके जीवनकाल में, बल्कि मृत्यु के बाद भी अंबेडकर के साथ अन्याय किया.
नेहरू और कांग्रेस सरकारों ने उन्हें भारत रत्न से वंचित रखा, जबकि नेहरू (1955), इंदिरा गांधी (1971) और राजीव गांधी (1991) को भारत रत्न दिया गया. भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार ने 1990 में अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया.
दिल्ली में अंबेडकर का अंतिम संस्कार करने से रोका गया और उनकी स्मृति में स्मारक बनाने में भी बाधा डाली गई. भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस को अंबेडकर का नाम लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
/ श्रीप्रकाश