Shivpuran: काशी को क्यों माना जाता है भगवान शिव की नगरी, आखिर क्या है काशी का रहस्य?
Samachar Nama Hindi January 29, 2025 07:42 AM

हिंदू धर्म में काशी को एक पवित्र शहर माना जाता है और यह दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी कभी भगवान शिव का निवास स्थान भी हुआ करता था। स्कंद पुराण में लगभग 15000 श्लोकों में काशी नगर की महिमा का गान किया गया है। इसके अलावा रामायण, महाभारत और ऋग्वेद में भी काशी का वर्णन मिलता है। एक श्लोक में भगवान् शिव कहते हैं कि 'तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास स्थान है काशी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है।

भगवान् शिव और काशी का सम्बन्ध

काशी को लेकर कई कहानियां प्रचलित है और एक कहानी के अनुसार, इस शहर का निर्माण स्वयं भगवान शिव ने किया था और उन्होंने इसे पृथ्वी पर अपना घर चुना था। भगवान शिव सर्दियों में काशी में रहने आते थे। पहले वो तपस्वी थे, तो हिमालय पर रह लेते थे लेकिन जब उन्होंने एक राजकुमारी या देवी पार्वती से शादी की, तो अपना पारिवारिक जीवन शुरू करने के लिए उन्होंने मैदानी इलाकों में आने का फैसला किया और वे काशी आये, जो उस समय का सबसे शानदार शहर था। बाद में किसी कारणवश भगवान् शिव और पार्वती को काशी छोड़ कर मंदार पर्वत पर जाना पड़ा। आज भी माना जाता है कि काशी भगवान् शिव के त्रिशूल पर टिका है और इस शहर पर भगवान् शिव की विशेष कृपा है। तभी तो इस शहर को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, काशी ही वो स्थान है जहां भगवान शिव ने पहली बार तांडव नृत्य किया था। मान्यता यह भी है कि काशी उन स्थानों में से एक है जहां भगवान शिव का लिंगम, जो उनकी दिव्यता का प्रतीक है।

काशी का रहस्य

प्राचीन कहानियों में काशी को लेकर एक और दिलचस्प बात कही जाती है कि भगवान् शिव ने ही काशी शहर को श्राप भी दिया कि यह मानव दुनिया से गायब हो जाएगा और गंगा नदी में डूब जाएगा। ऐसा माना जाता है कि यह शहर आध्यात्मिक तल पर मौजूद है, लेकिन आम आँखों के लिए अदृश्य है। हालाँकि, खो जाने के बावजूद, वाराणसी आध्यात्मिक शुद्धि और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिए जरूरी स्थान माना जाता है। काशी को फिर से कब खोजा जाएगा, इसके बारे में शास्त्रों या पौराणिक कथाओं में कोई विशेष समय या घटना नहीं बताई गई है। मान्यता है कि वाराणसी इस वर्तमान कल्प (ब्रह्मा का एक दिन) के अंत तक छिपी रहेगी और भविष्य के युग में इसे फिर से खोजा जाएगा।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, काशी कई रूपों में प्रतीकात्मक है और इसे कारण इसे ब्रह्माण्ड का आध्यात्मिक केंद्र भी माना जाता है। काशी में 72,000 मंदिर थे। मानव शरीर में नाड़ियों की संख्या भी इतनी ही होती है। काशी को भगवान् शिव के त्रिशूल पर स्थित इसलिए भी बताया जाता है क्योंकि यह ज़मीन से लगभग 33 फुट ऊपर है। मान्यता यह है कि काशी में निरंतर ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब भगवान् ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर बहस हुई थी, वहाँ एक प्रकाशमय स्तम्भ प्रकट हुआ, जिसका कोई ओर-छोड़ नहीं था और यह स्तम्भ काशी नगरी को ही चीड़ता हुआ प्रकट हुआ था। वह स्तम्भ भगवान् शिव का निराकार रूप था, जिसका असीमित होना भगवान् विष्णु और ब्रह्मा के श्रेष्ठ होने के अहंकार को तोड़ने के लिए काफी थी।

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