एक प्रेम विवाह के बाद, दुल्हन ने अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया। उसने स्पष्ट किया कि उसे ऐसा करना पसंद नहीं है, इसलिए वह कभी भी ऐसा नहीं करेगी। इस स्थिति के बाद, दोनों ने अलग होने का निर्णय लिया।
एक युवक और युवती ने चार साल तक एक-दूसरे के साथ प्रेम किया और परिवारों को मनाकर विवाह किया। प्रारंभ में, उनके परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे, लेकिन अंततः दोनों की जिद के आगे झुक गए। शादी धूमधाम से हुई, लेकिन पहली रात कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया।
शादी की रात, जब पति ने पत्नी के साथ नजदीकी बढ़ाने की इच्छा जताई, तो दुल्हन ने साफ-साफ मना कर दिया। उसने कहा कि उसे शारीरिक संबंधों में कोई रुचि नहीं है। पति को यह सुनकर आश्चर्य हुआ। पहले तो उसने इसे मजाक समझा, लेकिन जब दुल्हन ने अपनी बात दोहराई, तो स्थिति गंभीर हो गई।
परिवार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काउंसलिंग का सहारा लिया। काउंसलर और परिवार के सदस्यों ने दुल्हन से बात की, लेकिन उसने अपने फैसले पर अडिग रहने की बात कही। उसका कहना था कि वह इस रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहती।
कई बातचीत और समझाने के प्रयासों के बावजूद, दुल्हन ने तलाक लेने का निर्णय लिया। पति इसे स्वीकार नहीं करना चाहता था, लेकिन अंततः दोनों ने सहमति से अलग होने का फैसला किया।
यह घटना यह दर्शाती है कि विवाह से पहले केवल प्रेम ही नहीं, बल्कि आपसी समझ और भविष्य की अपेक्षाओं के बारे में स्पष्टता भी आवश्यक है। मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहना भी शादी का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस मामले ने साबित किया कि रिश्तों में ईमानदारी और पारदर्शिता बेहद जरूरी है ताकि बाद में कोई बड़ा विवाद न हो।