चार्जर पावर की खपत: हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें कहा गया है कि अगर आप मोबाइल चार्जर को स्विच में लगाकर छोड़ते हैं. भले ही उस पर फोन न लगा हो, तब भी यह बिजली की खपत करता है. इस दावे को लेकर लाखों लोग भ्रमित हैं, क्योंकि यह हर घर से जुड़ा हुआ विषय है.
इस दावे में पूरी तरह झूठ नहीं है. बल्कि इसमें आधा सच छिपा हुआ है. विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप मोबाइल चार्जर को स्विच में ऑन छोड़ देते हैं और उस पर फोन नहीं लगा है. तब भी वह थोड़ी मात्रा में बिजली खपत करता है. इस प्रकार की बिजली खपत को “वैंपायर पावर” या “स्टैंडबाय पावर” कहा जाता है.
औसतन, एक मोबाइल चार्जर जब सिर्फ प्लग में जुड़ा रहता है और फोन नहीं लगाया जाता, तो यह 0.1 से 0.5 वॉट बिजली खपत करता है. एक महीने में यह खपत लगभग 1 से 2 यूनिट तक पहुंच सकती है. हालांकि यह संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन जब घर में कई चार्जर, टीवी, सेट-टॉप बॉक्स और अन्य डिवाइस स्टैंडबाय मोड में रहते हैं, तो मिलकर बिजली के बिल पर असर डालते हैं.
बिजली की खपत से ज्यादा चिंताजनक पहलू है सुरक्षा का. फायर सेफ्टी के लिहाज से भी यह खतरनाक साबित हो सकता है. कई बार ओवरहीटिंग, स्पार्किंग या शॉर्ट सर्किट जैसे हादसे सिर्फ इस वजह से होते हैं कि चार्जर लगातार प्लग में लगा रहता है, भले ही उसका उपयोग न हो रहा हो.
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जब चार्जर का उपयोग न हो रहा हो, तो उसे स्विच ऑफ कर देना चाहिए या फिर प्लग से निकाल देना चाहिए. इससे न सिर्फ बिजली की बचत होती है. बल्कि यह आपके घर को सुरक्षित रखने में भी मदद करता है.
हो सकता है कि एक अकेला चार्जर बहुत कम बिजली खपत करता हो. लेकिन देशभर में करोड़ों घरों में यदि सभी लोग यह गलती करें, तो इससे बड़ी मात्रा में बिजली बर्बाद होती है. इसीलिए इसे छोटा मुद्दा समझकर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.