भारत में Healthcare इतना महंगा क्यों है? कारण और समाधान की पड़ताल
Cliq India October 19, 2024 11:42 PM

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती कीमतें न केवल लोगों की जेब पर बोझ डाल रही हैं, बल्कि लाखों परिवारों को गरीबी के दलदल में धकेल रही हैं। Public Health Foundation of India की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 6 करोड़ लोग सिर्फ स्वास्थ्य खर्चों के कारण गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं। यह हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाओं की एक कड़वी सच्चाई है, लेकिन सवाल उठता है—भारत में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी महंगी क्यों हैं?

भारत में वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

भारत की स्वास्थ्य सेवाओं पर हर साल बजट में वृद्धि हो रही है। 2024-25 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ₹90,171 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल से 12.59% ज्यादा है। लेकिन इसके बावजूद मेडिकल महंगाई 14% तक पहुंच गई है, जिससे इलाज की लागत तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही, भारत में लगभग 71% लोग अपनी स्वास्थ्य लागत खुद उठाते हैं, जबकि केवल 15% कामकाजी लोग ही अपने नियोक्ताओं से स्वास्थ्य बीमा प्राप्त करते हैं।

महंगे इलाज की मानवीय कीमत

महंगे इलाज का सबसे बड़ा असर उन परिवारों पर पड़ता है, जिनका मुख्य कमाने वाला बीमार हो जाता है। हर साल 6 करोड़ से ज्यादा लोग केवल स्वास्थ्य खर्चों की वजह से गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में 58% परिवार कर्ज में डूब जाते हैं। यह कर्ज परिवार की शिक्षा और दूसरे ज़रूरी खर्चों पर भी असर डालता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जाती है।

स्वास्थ्य सेवाएं इतनी महंगी क्यों हैं?

भारत में महंगे स्वास्थ्य सेवाओं के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ती महंगाई से स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में वृद्धि हो रही है। अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीकें, जैसे MRI और CT स्कैन, भी मरीजों के लिए महंगी पड़ती हैं। इसके साथ ही, दवाओं की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य बीमा की कमी के कारण ज्यादातर लोग अपनी जेब से इलाज का खर्च उठाते हैं।

आम आदमी पर असर

स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत का सबसे बड़ा असर आम आदमी पर पड़ता है। भारत में 90 मिलियन से ज्यादा लोग स्वास्थ्य खर्चों की वजह से आर्थिक बोझ तले दब रहे हैं। इसके अलावा, महंगे इलाज के कारण लोग अक्सर preventive healthcare, जैसे annual check-ups, को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जिससे उनकी लंबी अवधि में स्वास्थ्य पर और भी बुरा असर पड़ता है।

सरकारी प्रयास: प्रगति और चुनौतियाँ

सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जैसे कि आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)। 2024-25 के बजट में PMJAY के लिए ₹7,500 करोड़ आवंटित किए गए हैं। हालांकि, यह सुधार सराहनीय है, लेकिन तेजी से बढ़ते चिकित्सा खर्चों के सामने अभी भी अपर्याप्त है।

भविष्य की राह: स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता बनाने के समाधान

भारत को सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कई कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, स्वास्थ्य बीमा को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके साथ ही, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं और टेलीमेडिसिन का उपयोग बढ़ाकर स्वास्थ्य खर्चों को कम किया जा सकता है। सरकार को दवाओं और चिकित्सा सेवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए।

भारत विश्व के सफल स्वास्थ्य प्रणालियों से भी सीख सकता है, जैसे ब्रिटेन का NHS मॉडल और कनाडा का दवाओं पर नियंत्रण। इससे देश में एक मजबूत, समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण किया जा सकता है।

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत लगातार बढ़ रही है, जिससे लाखों लोग आर्थिक संकट में घिर रहे हैं। अगर समय पर सुधार नहीं किए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार, नियोक्ताओं, और जनता सभी को मिलकर काम करना होगा।

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