खालिस्तानी, नक्सली या PAK कनेक्शन! रोहिणी ब्लास्ट को लेकर किन-किन एंगल पर जांच कर रही पुलिस
वरुण जैन October 21, 2024 06:42 PM

Delhi Blast: दिल्ली में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए ब्लास्ट में जांच एजेंसियां कई एंगल पर तफ्तीश कर रही हैं. हालांकि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं बल्कि मैसेज देना ज्यादा लग रहा है, क्योंकि रविवार (20 अक्तूबर) यानी छुट्टी वाले दिन सुबह-सुबह प्रशांत विहार में सीआरपीएफ स्कूल के पास जिस जगह ये ब्लास्ट किया गया वो इसी तरफ इशारा कर रहा है.

ब्लास्ट के पीछे नक्सलियों का हाथ?
जांच एजेंसियों को शक है कि ब्लास्ट के पीछे नक्सलियों का हाथ भी हो सकता है क्यूोंकि पिछले कुछ महीनों से सीआरपीएफ देश भर में नक्सलियों के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं. ब्लास्ट के कुछ देर बाद ही सोशल मीडिया पर जस्टिस लीग इंडिया के नाम से एक पोस्ट वायरल होने लगी जिसमें खालिस्तानी आतंकी संगठन के नाम पर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई. 

ब्लास्ट का पाकिस्तानी टेरर एंगल
हाल ही में दिल्ली में फेस्टिव सीजन को देखते हुए खुफिया विभाग ने अलर्ट जारी किया था जिसको लेकर एजेंसियां तफ्तीश कर रही थी. ऐसे में शक है कि कहीं ये किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन का काम तो नहीं है.

दिल्ली ब्लास्ट मामले में केस दर्ज
दिल्ली के रोहिणी डिस्ट्रिक्ट के प्रशांत विहार में हुए सीआरपीएफ स्कूल की बाउंड्री ब्लास्ट मामले में दिल्ली पुलिस ने प्रशांत विहार थाने में बीएनएस की धारा 326(g), प्रिवेंशन ऑफ डेमेज पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा नंबर 4, 3 एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.


मल्टीपल एजेंसियों ने की जांच
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए लोकल पुलिस, स्पेशल सेल, एनएसजी, सीआरपीएफ, ग्रह मंत्रालय की टीम, एफएसएल सभी एजेंसियां आज मौके पर पहुंची और मामले की जांच की. एनएसजी में बम निरोधक दस्ते के हेड मोहम्मद जमाल को मौके पर बुलाया गया था जो बम की कैटेगरी को समझने में सबसे बेस्ट ऑफिसर है. एफएसएल, बम स्कॉड, एनएसजी ने मौके से कटे हुए तार के टुकड़े, पेंसिल सेल, सफेद रंग का पाउडर बरामद किया. एजेंसियों ने जो सबूत जुटाए है उनकी एक डिटेल्ड रिपोर्ट ग्रह मंत्रालय से साझा की जाएगी. बताया जा रहा है कि ग्रह मंत्रालय की एक टीम खुद भी मौके पर पहुंची थी. इस मामले में फिलहाल लोकल पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है जिसको जल्द स्पेशल सेल या ग्रह मंत्रालय के आदेश पर केंद्रीय एजेंसी को भी ट्रांसफर किया जा सकता है.

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