क्या है मल्टीपल मायलोमा? जिससे 6 सालों से जूझ रही थीं शारदा सिन्हा, जानें इसके लक्षण
GH News November 06, 2024 05:12 PM

हाल ही में बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन हो गया, गायिका पिछले कुछ सालों से मल्टीपल मायलोमा कैंसर से जूझ रही थीं, आइए जानते हैं इसके बारे में.

मशहूर गायिका शारदा सिन्हा पिछले 6 सालों से मल्टीपल मायलोमा कैंसर से जूझ रही थीं. इस प्रकार का कैंसर बहुत ही रेयर होता है और आम लोगों के लिए यह बीमारी मुश्किल और खतरनाक साबित हो सकती है.

  • मल्टीपल मायलोमा क्या है?

मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जो शरीर की हड्डियों के अंदर बनने वाले प्लाज्मा सेल्स को प्रभावित करता है। प्लाज्मा सेल्स, जो सफेद रक्त कोशिकाओं का हिस्सा होती हैं, हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करती हैं। जब ये सेल्स अनियंत्रित (uncontrolled ) रूप से बढ़ने लगती हैं, तो ये स्वस्थ हड्डियों को नुकसान पहुंचाकर कैंसर की स्थिति पैदा करती हैं। इस प्रकार की स्थिति में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और व्यक्ति को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

  • मल्टीपल मायलोमा के लक्षण-

मल्टीपल मायलोमा के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य हो सकते हैं, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है. आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • हड्डियों में लगातार दर्द, खासकर पीठ और पसलियों में
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • खून की कमी या एनीमिया की समस्या
  • बार-बार इन्फेक्शन होना, जैसे सर्दी-जुकाम
  • किडनी की समस्याएं, जैसे पेशाब में कमी या सुस्ती महसूस होना

मल्टीपल मायलोमा क्यों है खतरनाक?

मल्टीपल मायलोमा एक ऐसा कैंसर है जो शरीर के कई हिस्सों में फैल सकता है और इसके कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है. इसमें किडनी और हड्डियों को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है. इसके अलावा, इससे व्यक्ति का खून ठीक से नहीं बन पाता, जिससे इन्फेक्शन और अन्य बीमारियां जल्दी होती हैं। इस कारण इसे खतरनाक माना जाता है.

मल्टीपल मायलोमा का इलाज संभव है, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता. इसके इलाज में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है.

मल्टीपल मायलोमा से बचाव के लिए शरीर को स्वस्थ रखना, पोषक आहार लेना और नियमित व्यायाम करना लाभकारी हो सकता है. शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना और समय रहते उपचार शुरू कर देना भी इस बीमारी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है.

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.